भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी 1983 विश्व कप
1983 विश्व कप विजेता भारतीय क्रिकेट टीम ने कपिल देव की कप्तानी में भारत को पहली बार विश्व कप दिलाया। यहां उस ऐतिहासिक टीम के सभी खिलाड़ियों के नाम दिए गए हैं:
- कपिल देव (कप्तान) – ऑलराउंडर
- सुनील गावस्कर – बल्लेबाज
- मोहिंदर अमरनाथ – ऑलराउंडर (सेमी-फाइनल और फाइनल में मैन ऑफ द मैच)
- कृष्णामाचारी श्रीकांत – बल्लेबाज
- संदीप पाटिल – बल्लेबाज
- यशपाल शर्मा – बल्लेबाज
- दिलीप वेंगसरकर – बल्लेबाज
- रोजर बिन्नी – ऑलराउंडर (टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी)
- मदन लाल – ऑलराउंडर
- सैयद किरमानी – विकेटकीपर
- बलविंदर संधू – गेंदबाज
- रवि शास्त्री – ऑलराउंडर
- सुनील वालसन – गेंदबाज (कोई मैच नहीं खेला)
- कीर्ति आजाद – ऑलराउंडर
25 जून 1983 को लॉर्ड्स, इंग्लैंड में खेले गए इस फाइनल में भारत ने वेस्ट इंडीज को 183 रनों पर आउट कर 140 रनों पर हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस जीत ने भारतीय क्रिकेट में एक नया युग आरंभ किया।
1983 क्रिकेट विश्व कप में भारत के कोच कौन थे?
1983 क्रिकेट विश्व कप के दौरान भारतीय टीम का कोई आधिकारिक कोच नहीं था लेकिन pr man singh को कोच माना गया था उस समय भारतीय टीम के पास कोच की भूमिका में कोई व्यक्ति नियुक्त नहीं था। कपिल देव ने कप्तान के रूप में टीम का नेतृत्व किया और टीम प्रबंधन में वरिष्ठ खिलाड़ियों ने सामूहिक रूप से जिम्मेदारी संभाली।
इस ऐतिहासिक टूर्नामेंट में टीम की सफलता के पीछे कप्तान कपिल देव की प्रेरणा और सभी खिलाड़ियों के सामूहिक प्रयास का अहम योगदान था।
1983 विश्व कप में सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी कौन था?
1983 के क्रिकेट विश्व कप में भारतीय टीम के सबसे युवा खिलाड़ी रवि शास्त्री थे। उस समय उनकी उम्र 20 साल के करीब थी। शास्त्री ने टीम में ऑलराउंडर के रूप में भूमिका निभाई थी। हालांकि, उन्हें टूर्नामेंट के दौरान खेलने का बहुत ज्यादा मौका नहीं मिला, फिर भी उनकी उपस्थिति टीम के लिए एक महत्वपूर्ण बैकअप के रूप में थी।
1983 विश्व कप में भारत के सबसे युवा खिलाड़ी मदन लाल थे। उस समय उनकी उम्र लगभग 22 साल थी। मदन लाल एक ऑलराउंडर थे, जिन्होंने गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
1983 विश्व कप में सर्वश्रेष्ठ भारतीय खिलाड़ी कौन था?
1983 विश्व कप में कपिल देव को सर्वश्रेष्ठ भारतीय खिलाड़ी माना जाता है। उन्होंने अपनी कप्तानी, ऑलराउंड प्रदर्शन, और खासकर जिम्बाब्वे के खिलाफ खेली गई ऐतिहासिक 175 रनों की पारी के कारण टीम को विश्व कप जीत की ओर अग्रसर किया।
इस मैच में जब भारतीय टीम 17 रनों पर 5 विकेट गंवा चुकी थी, तब कपिल देव ने 175* रनों की नाबाद पारी खेली, जो उस समय भारतीय क्रिकेट के लिए गेम-चेंजर साबित हुई। इसके अलावा, उनके नेतृत्व में पूरी टीम ने शानदार प्रदर्शन किया, और गेंदबाजी तथा फील्डिंग में भी उनका योगदान महत्वपूर्ण था।
फाइनल मैच में, मोहिंदर अमरनाथ को उनके ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला, लेकिन पूरे टूर्नामेंट में कपिल देव का प्रदर्शन टीम के लिए सबसे अहम रहा।
1983 वीश्व कप मे वेस्टइंडीज ओर भारत की पारी
भारत ने 183 रनों का स्कोर खड़ा किया, जो उस समय वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीम के लिए आसान माना जा रहा था। लेकिन भारतीय गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के कारण वेस्टइंडीज 140 रनों पर ही ढेर हो गई, और भारत ने 43 रनों से मैच जीत लिया, जिससे भारत को पहली बार विश्व कप जीत हासिल हुई।
फाइनल में मोहिंदर अमरनाथ को उनके शानदार ऑलराउंड प्रदर्शन (26 रन और 3 विकेट) के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया।
भारत की पारी – स्कोरकार्ड
भारत: 183 रन (54.4 ओवर में सभी आउट)
बल्लेबाज | रन | गेंदें | चौके | छक्के |
सुनील गावस्कर | 2 | 20 | 0 | 0 |
कृष्णमाचारी श्रीकांत | 38 | 57 | 7 | 1 |
मोहिंदर अमरनाथ | 26 | 80 | 3 | 0 |
संदीप पाटिल | 27 | 29 | 2 | 0 |
यशपाल शर्मा | 11 | 32 | 2 | 0 |
कपिल देव (कप्तान) | 15 | 8 | 1 | 1 |
कीर्ति आजाद | 0 | 3 | 0 | 0 |
रोजर बिन्नी | 2 | 12 | 0 | 0 |
मदन लाल | 17 | 27 | 2 | 0 |
सैयद किरमानी (विकेटकीपर) | 14 | 43 | 0 | 0 |
बलविंदर संधू | 11 | 29 | 1 | 0 |
अतिरिक्त रन | 20 | – | – | – |
कुल स्कोर | 183 | 54.4 ओवर में | – | – |